*”पत्रकारों के प्रति शासन सजग पर “प्रशासन” मस्त खासकर स्थानीय पुलिस प्रशासन*”

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*”पत्रकारों के प्रति शासन सजग पर “प्रशासन” मस्त खासकर स्थानीय पुलिस प्रशासन*”
राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार का भी कहना है कि किसी भी प्रकार से पत्रकारों पर हमला फर्जी मुकदमे नहीं होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कई बार पत्रकारों के हित की जिक्र कर चुके हैं वावजूद इसके भी पत्रकार से अभद्रता, मारपीट,हमला, फर्ज़ी मुकदमा पंजीकृत किया जा रहा है पत्रकार पर हमला हो जाये उसका शिकायत दर्ज करने में स्थानीय पुलिस को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है पर वहीं कोई झूठा आरोप लगा कर पत्रकार के खिलाफ शिकायत कर दे तो पत्रकार पर मुकदमा पंजीकृत करके सलाखों के पीछे भेजनें में देर नहीं लागती।
इसका जिम्मेदार सिर्फ प्रशासन को कहें तो शायद ग़लत होगा क्योंकि कुछ पत्रकार का चोला ओढ़कर दलाल मुखबिर चाटुकारों का भी अहम भूमिका निभाते है,जो की मौज-मस्ती है,
ऐसे लोग सिर्फ पुलिस ही विभाग में नहीं बैठे हैं एल डी ए,आवास विकास,आर टी ओ, राजस्व विभाग, बिजली विभागों से लेकर नगर निगम तक अपना मकड़जाल फ़ैला रखें हैं और ऐसे लोगों द्वारा निष्पक्ष लिखने वाले निर्भीक पत्रकार की बुराई करके मुखबिरी करके अपने आप को बहुत बड़ा पत्रकार बता कर और पत्रकारों साथियों को नीचा दिखाने का काम किया जाता है।
जिससे न और पत्रकारों से प्रशासन भयभीत होता है ना गुंडे-बदमाश।
एक सप्ताह के अंदर हमीरपुर फहतेपुर लखनऊ के पत्रकारों पर जान लेवा हमला हुआ ऐसा पत्रकारों को डराने-धमकाने के लिए तथा योगी आदित्यनाथ महराज सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है जिससे विपक्ष कह सके की इस सरकार में पत्रकार भी सुरक्षित नहीं है।
मैं पत्रकार साथियों को आगाह करना चाहता हूं कि पत्रकारिता निर्भीक होकर निस्संदेह निस्वार्थ भाव से निष्पक्ष खबरें प्रसारित करते रहे शासन प्रशासन की दलाली चाटुकारिता करके अपनी क़लम को कमजोर मत करिए अन्यथा एक दिन आप पर भी शिकंजा कसा जायेगा फिर एहसास होगा।
फिर वही कहावत याद आयेगी कि अब पछताने से क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
हमारा मकसद किसी के दिल को ठेस पहुंचाने कोई चाह नहीं है ना किसी को बदनाम करने की कोशिश है बस पत्रकार साथियों को एकता बनाए रखने की अपील है चौथे स्तंभ को मजबूत बनाने का एक विकल्प है शासन प्रशासन में बैठे भ्रष्ट लोगों को दूध से मखी की तरह निकाल कर फेंकने की कोशिश है।
देशवासियों की सेवा करके राष्ट्रवादी पत्रकार बनने की चाहत है।
राकेश त्रिपाठी की कलम से

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