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*शादी के मौसम में अटकी जीपीएफ फाइल, मुसीबत*

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संवदाता, अकाश कुमार गुप्ता
तहसील प्रभारी, नौतनवा, लक्ष्मीपुर
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*शादी के मौसम में अटकी जीपीएफ फाइल, मुसीबत*

बेसिक शिक्षा विभाग में अपनी सेलरी से कटौती कराए पैसे में से लोन के लिए शिक्षक व कर्मचारी परेशान हैं। इस समय एक नए आदेश ने लोन के आवेदन को ही लटका दिया है। विभाग से फरमान जारी है कि एक जनवरी से लोन के लिए आनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे। बीते 31 दिसंबर से जीपीएफ लोन के लिए आफलाइन आवेदन के सिस्टम को बंद कर दिया है। मुसीबत यह है कि अभी आनलाइन आवेदन पोर्टल पर कोई माड्यूल ही नहीं है। स्थिति यह है कि शादी के मौसम व बीमारी की स्थिति में जीपीएफ लोन के लिए आवेदन लेने-देने का कार्य ठप पड़ा है। जीपीएफ ऋण के लिए जरूरतमंद शिक्षक व कर्मचारियों का कहना है कि विभाग को पहले अपने आनलाइन प्लेटफार्म को दुरूस्त करना चाहिए। शिक्षकों को हर साल लेखा पर्ची मिलनी चाहिए। सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए। पर, सुविधाओं के बजाय जरूरतमंदों की परेशानी बढ़ाने वाला हा फरमान जारी हो रहा है।जिले में पुरानी पेंशन योजना वाले 488 शिक्षक व कर्मचारी हैं। इसमे 25-30 अनुचर हैं। हर माह इनकी सेलरी से जीपीएफ कटौती होती है। उसी धन से बेसिक शिक्षा विभाग का लेखा अनुभाग सेवा निवृत्त शिक्षकों के अवशेष बकाया का भुगतान करता है। 31 दिसंबर के पहले करीब पांच शिक्षकों ने जीपीएफ लोन के लिए आवेदन किया है। विभाग के मुताबिक इस समय जीपीएफ खाता लगभग ड्राई है। खाते में करीब डेढ़ लाख रूपया ही है। विभाग कटौती के धन का इंतजार कर रहा है। जिससे शिक्षकों का भुगतान किया जा सके।

गोरखपुर जिला जीपीएफ का दबाया बैठा है 43 करोड़

महराजगंज जिला गोरखपुर से 2 अक्तूबर 1989 को अलग हुआ था। इसके साथ विभागों का बंटवारा हुआ। इसके पह महराजगंज के शिक्षकों के जीपीएफ कटौती का धन गोरखपुर बेसिक शिक्षा के लेखा विभाग में होता रहता था। बंटवारे के बाद गोरखपुर के लेखा विभाग ने पूरा पैसा नही दिया। मामला
महराजगंज जिला गोरखपुर से 2 अक्तूबर 1989 को अलग हुआ था। इसके साथ विभागों का बंटवारा हुआ। इसके पहले महराजगंज के शिक्षकों के जीपीएफ कटौती का धन गोरखपुर बेसिक शिक्षा के लेखा विभाग में होता रहता था। बंटवारे के बाद गोरखपुर के लेखा विभाग ने पूरा पैसा नही दिया। मामला वित्त नियंत्रक तक पहुंचा। शिक्षक संघ के लंबे संघर्ष व हिन्दुस्तान अखबार की मुहिम पर गोरखपुर ने दस करोड़ महराजगंज को स्थानांतरित किया, लेकिन अभी भी करीब महराजगंज के शिक्षकों के जीपीएफ का करीब 43 करोड़ गोरखपुर में फंसा है। इस धन देने को गोरखपुर के लेखा विभाग ने यह कहते हुए त्वरित भुगतान से हाथ खड़ा कर लिया है कि पैसा शासन में लंबित है। शासन से धन मिलने के बाद भुगतान किया जाएगा। दिक्कत वाली बात यह है कि 31 मार्च को पुरानी पेंशन वाले करीब 23 शिक्षक व कुछ कर्मी सेवानिवृत्त होंगे। इनके जीपीएफ भुगतान के लिए करीब 7-8 करोड़ की जरूरत पड़ेगी। विभाग को शिक्षकों की कटौती रेप पर भुगतान के लिए शिक्षकों को विभाग का चक्कर लगाना पड़ सकता है।
हर माह 40-42 लाख रूपया ही मिल रहा है। ऐसे मेंजीपीएफ भुगतान के लिए शिक्षकों को विभाग का चक्कर लगाना पड़ सकता है।एक लेखाकार के भरोसे जिले भर के शिक्षकों का भुगतान

बेसिक शिक्षा विभाग के लेखा विभाग में कर्मियों के 12 पद सृजित है। इसमें से केवल एक लेखाकार व एक अनुचर ही कार्यरत हैं। इससे कार्य को पूरा कराने में असुविधा हो रही है। वेतन बिल तैयार करने से लेकर सेवा निवृत्त शिक्षकों के भुगतान के लिए नियुक्ति से लेकर सभी भुगतान का लेखाजोखा तैयार करना होता है। पिछले एक दशक में लेखा विभाग में बड़ी अनियमितता का भी आरोप लगता आया है। ऐसे में हर पत्रावली को तैयार करने में विभाग फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।जीपीएफ लोन के लिए विभाग के निर्देश के मुताबिक आनलाइन प्रक्रिया का पालन करना है। आफलाइन आवेदन बीते 31 दिसंबर से बंद है। नए साल में अभी तक जीपीएफ लोन के लिए नया आवेदन नहीं है। पोर्टल को अपग्रेड करने का कार्य चल रहा है। विभाग के दिशा निर्देश के मुताबिक काय जारी है।

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