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*अपार में सिरदर्द बने बिना आधार पर जन्मतिथि वाले बच्चे*

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संवाददाता, अकाश कुमार गुप्ता
जिला प्रभारी, महराजगंज
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*अपार में सिरदर्द बने बिना आधार पर जन्मतिथि वाले बच्चे*

कक्षा एक से 12वीं तक बच्चों का वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी बनाने के लिए अनिवार्य अपार सिस्टम की खामियों की वजह से सिरदर्द बनता जा रहा है। स्थिति यह है कि प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी अभी तक जिले में 49 फीसदी छात्रों की अपार आईडी बन पाई है। बड़ी समस्या बिना आधार व जन्मतिथि प्रमाण पत्र वाले बच्चे हैं। अपार में जन्मतिथि प्रमाण पत्र को अनिवार्य कर दिया गया है। विभागीय दबाव में प्रधानाध्यापक व अभिभावक जन्म प्रमाण पत्र का आवेदन तहसीलों में दिए हैं। तहसील से जन्म प्रमाण पत्र जारी होने में एक माह की वेटिंग है।जिले में 12वीं कक्षा तक छात्रों की कुल संख्या 5 लाख 10 हजार 514 है। इसमें से मंगलवार तक 2 लाख 50 हजार 802 छात्रों का ही अपार आईडी बन पाई है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले 86 फीसदी व एडेड विद्यालय में 80 फीसदी बच्चों की अपार आईडी बन गई है। प्राइवेट, मदरसा व समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों की अपार की प्रगति बेहद खराब है। प्राइवेट विद्यालयों में अभी 18 फीसदी, मदरसा में 16 व समाज कल्याण के स्कूलों में अभी तक 24 फीसदी ही अपार आईडी बन पाई है।अपार की लटकी तलवार देख बच्चों का नाम काट रहे शिक्षक

निचलौल तहसील क्षेत्र के मुसहर बाहुल्य गांव कलनहीं खुर्द, चरभरिया, चंदा गुलरभार, डोमा, बढ़या मुस्तकीम, लेदी, बजहा अहिरौली, पिपरपाती, रामचंद्रही आदि गांवों के सैकड़ों बच्चों का आधार कार्ड नहीं है। इसमें ने कुछ बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन एसडीएम कार्यालय में जमा है। स्थिति यह है कि बीते 31 दिसंबर को जमा आवेदन पत्रों पर अभी तक जन्म प्रमाण पत्र नहीं जारी हो पाया है। जन्म प्रमाण पत्र जारी होने के बाद आधार बनेगा। इसमें भी वक्त लग रहा है। अपार आईडी को लेकर कार्रवाई की लटकी तलवार को देख शिक्षक बिना आधार व जन्म प्रमाण पत्र वाले बच्चों का स्कूल का नाम काटना शुरू कर दिए हैं।

पुलिस कस्टडी में आधार मशीन, कैसे बने आईडी
निचलौल ब्लाक में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मुहैया कराया गया मशीन पिछले एक साल से पुलिस के कब्जे में है। फर्जी आधार कार्ड बनाने में मशीन पकड़ी गई थी। एक शिक्षक भी निलंबित हुआ था। पुलिस की कस्टडी में मशीन होने से भी आधार नहीं बन पा रहा है। निचलौल क्षेत्र के एक शिक्षक का कहना है कि एक माह से वह चाक-डस्टर हाथ में नहीं पकड़े हैं। पूरा स्कूल मोबाइल से चल रहा है। जन्म प्रमाण पत्र के लिए सेक्रेटरी को ढूंढना टेढ़ी खीर है। परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले मुसहर समुदाय के बच्चों के अभिभावक मजदूरी पेशा हैं। वह बच्चों का आधार या जन्मतिथि बनवाने के लिए ब्लाक या तहसील पर जाने को तैयार नहीं है। बच्चों का आधार या जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए स्कूल छोड़ने पर कार्रवाई का डर अलग से है। प्रशासन शिक्षकों पर दबाव बना रहा है।

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जिलाधिकारी को चाहिए कि वह रोजाना तहसीलों पर आन वाले प्रार्थना पत्र व जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की मानीटरिंग करें। वहीं शिकंजा कसने से अपार की रफ्तार बढ़ेगी।अपार को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है। डीएम व सीडीओ का भी सहयोग लिया जा रहा है। कुछ अभिभावकों ने बच्चों के नाम में संशोधन करा दिया है। कुछ का नाम दो स्कूलों में प्रदर्शित हो रहा है। सभी समस्याओं का समाधान का प्रयास किया जा रहा है।

डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा-प्रभारी बीएसए

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