*बाल विकास-कमीशन खोरी का प्लान चौपट,देना पड़ गया पीएलआई का भुगतान*

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*बाल विकास-कमीशन खोरी का प्लान चौपकट,देना पड़ गया पीएलआई का भुगतान*
सतीश त्रिपाठी।
नौतनवा।महाराजगंज। रतनपुर ब्लॉक मुख्यालय पर स्थित बाल विकास एवं पुष्टाहार कार्यालय के भ्रष्टाचार की बड़ी ही लंबी फेहरिस्त , हैI.कमीशन खोरी,भ्रष्टाचार चरम पर है। जिम्मेदार अपने मनमानेपन से बाज नहीं आ रहे हैं।यही नहीं यहां पर तैनात जिम्मेदार अपने को शासन में उच्च रसूख बताने से भी नहीं थकते । शासन में रसूख होने की बात इस तरह हांकते हैं, कि बेचारी भोली-भाली गांव एवं शहर की आंगनबाड़ी कार्यकत्रिया एवं सहायिका भयातुर हो जा रहीं है।यही वजह है कि समय से उनके पीएलआई (प्राेत्साहन राशि)का भुगतान नहीं किया गया। पीएलआई के भुगतान के संबंध में सहायिकाओं कार्यकत्रियां काफी दिनों से उनसे मनुहार किया। लेकिन सीडीपीओ जरा सा नही पसीजे । उनकी एक न सुनी गई । फरवरी,मार्च और अप्रैल के पीएलआई के भुगतान में 1000रूपए प्रति के कार्यकत्री, सहायिका से कमीशन की मांग की जा रही थी ।सीडीपीओ की यह मांग इतनी सख्त थी कार्यकत्रिया और सहायिका देने से इनकार कर रही थी। जब के कमीशनखोरी के बात कि हद हो गई और भ्रष्टाचार का पानी सिर के ऊपर बहने लगा तो आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां भी तन कर खड़ी हो गई । और उनके भ्रष्टाचार कमीशनखोरी, एवं अन्य अनियमिताओं के बाबत अधिकांश कार्यकत्रियों ने जिले के उच्च अधिकारियों सहित शासन को अवगत कराया । बताया जाता है कि निदेशालय स्तर भी पर भी इनकी शिकायत पहुंची । सीडीपीओ द्वारा किए जा रहे अन्याय,अत्याचार, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी की बात को निदेशालय ने गंभीरता से ले लियाI सूत्रों द्वारा बताया गया कि निदेशालय के एक्शन की जानकारी होने पर उनके जिम्मेदारों के हाथ पांव फूलने लगे। जिम्मेदार अपना गला नपने के भय से आनन-फानन में 3 महीने के पीएलआई का भुगतान संबंधित कार्यकत्रीऔर खाते में कर दिया। प्रशासनिक सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक सीडीपीओ ने यह भुगतान 9 मई 2025 को संबंधित के खाते किया है। एक प्रशासनिक सूत्रों द्वारा यह भी बताया जाता है कि शासन स्तर पर उनके भ्रष्टाचार की कहानी जो पहुंची हुई है वह काफी लंबी है। हालांकि सीडीपीओ से जब दो टूक बात करके उनका पक्ष जानने का प्रयास किया जाता है तो या तो उनका फोन स्विच ऑफ रहता है, या तो रिंग जाने पर उठता ही नहीं । सूत्र बताते है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और परियोजना कार्यालय के जिम्मेदारों मे जो जंग छिड़ा है उसमें किसी न किसी उच्च भ्रष्ट जिम्मेदार के गले नप सकते है।

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