*बालविकास नौतनवा- जब रहबर ही रहजन हो जाय…….*

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*बालविकास नौतनवा- जब रहबर ही रहजन हो जाय…….*
सतीश त्रिपाठी।
नौतनवा।महाराजगंज।बाल विकास परियोजना रतनपुर-नौतनवा जहां पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई है । वहीं लक्ष्मीपुर में भी अब भ्रष्टाचार कि ज्वाला धधक रही है।यहां पर तैनात सीडीपीओ अनुराग त्रिपाठी को लक्ष्मीपुर का चार्ज भी मिला हुआ हैI उनके भ्रष्टाचार से नौतनवा क्षेत्र के नौनिहालों का जहां बुरा हाल है।और नौनिहालों के निवालों पर जहां डांका डाल दिया गया है। वही ठीक इसी तरह लक्ष्मीपुर ब्लाक क्षेत्र में हो रहा है। लक्ष्मीपुर से संचालित एक व्हाट्सएप ग्रुप में जिस तरह बाल विकास परियोजना को लेकर भ्रष्टाचार के विरुद्ध बहस बाजी हो रही है। उससे तो यह कहा जा सकता है कि इनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध शासन स्तर से जब तक एक्शन नहीं लिया जाता तब तक इन पर सुधार संभव नहीं है। और शासन के धन का खुला दुरुपयोग होता रहेगा। बताया जाता है कि सीडीपीओ अनुराग त्रिपाठी का जहां-जहां चार्ज है वहां-वहां भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है। पुष्टाहार खुले बाजारों में पशुओं का आहार बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ शिशु ,गर्भवती तथा धात्री महिलाएं कुपोषण का शिकार हो रहे हैं । आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रुपया किसकी जेब में जा रहा है यह गंभीर जांच का विषय है ।बताते चले कि शिशु ,गर्भवती तथा धात्री महिलाओं की मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना बाल विकास परियोजना मानी जाती है। लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इस योजना को पलीता लग रहा है । भ्रष्टाचार का आलम तो यह है कि सीडीपीओ अनुराग त्रिपाठी के कार्यकाल में कुछ कार्यकत्री और सहायिका है जिनके एवज में फर्जी तौर पर दूसरे लोग कार्य कर रहे हैं। सूत्रो द्वारा है अभी बताया जाता है कि इस कार्य के लिए कार्यकत्री से प्रतिमाह ₹1200 एवं सहायिका से ₹700 दूसरे से ड्यूटी करने की एवज में लिया जाता है सूत्रों ने कई आंगनवाड़ी केन्द्रों के नाम का भी खुलासा किया है। कुल मिलाकर बाल विकास परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर रह गई है। सूत्रों द्वारा है अभी बताया जाता है कि भ्रष्टाचारियों को कहीं ना कहीं से शह मिला हुआ है । यह भी बताया जाता है कि सीडीपीओ कुछ खद्दरधारी को पॉकेट में लेकर चलने की बात करते हैं।और इनकी पहुंच कहां तक है, यह बात हांकने से भी नहीं थकते। यही कारण है यदि कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज बुलंद कर दे तो उसे टॉर्चर किया जाता है। जैसा कि अभी एक कार्यकत्री सीमा चौधरी के टॉर्चर का मामला काफी सुर्खियों में आया ।और यह मामला शासन स्तर तक जा पहुंचा है। जिसे शासन ने संज्ञान भी लिया है। अब देखना होगा उनके भरे हुए भ्रष्टाचार का घड़ा कब फूटता है।

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