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*आईटीएम गीडा, गोरखपुर के बीटेक छात्रों ने विकसित की जीवनरक्षक तकनीक-प्लेन रडार अलार्म सिस्टम”*

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*आईटीएम गीडा, गोरखपुर के बीटेक छात्रों ने विकसित की जीवनरक्षक तकनीक-प्लेन रडार अलार्म सिस्टम”*

(प्रदेश प्रभारी राकेश त्रिपाठी)

इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा गोरखपुर के बीटेक प्रथम वर्ष के पांच प्रतिभावान छात्र शशांक पांडेय, आलोक गुप्ता, शिवेश पांडेय, इलमा अहमद और दिशा चौधरी ने हाल ही में अहमदाबाद में हुई एक विमान दुर्घटना से प्रेरणा लेते हुए एक अत्यंत महत्वपूर्ण, जनहितकारी और जीवनरक्षक तकनीक “प्लेन रडार अलार्म सिस्टम” का सफलतापूर्वक विकास किया है। यह प्रणाली विशेष रूप से आपातकालीन हवाई दुर्घटनाओं की स्थिति में पायलट को त्वरित निर्णय लेने और जमीन पर मौजूद नागरिकों को समय रहते सतर्क करने में सहायक होगी।
छात्र शशांक पांडेय और शिवेश पांडेय ने बताया कि यह तकनीक उन विशेष परिस्थितियों के लिए डिज़ाइन की गई है, जब विमान किसी तकनीकी खराबी, ईंधन की कमी या अन्य कारणों से नियंत्रण खो देता है और घनी आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में यह प्रणाली सैटेलाइट डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करते हुए संभावित प्रभाव क्षेत्र का तत्काल विश्लेषण करती है और वहां मौजूद लोगों को अलर्ट सायरन, मोबाइल नोटिफिकेशन और अन्य स्थानीय चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से सतर्क कर देती है, जिससे लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँच सकें।
छात्र आलोक गुप्ता ने बताया कि उन्होंने समाचारों में कई बार ऐसी दुखद घटनाओं के बारे में पढ़ा, जिनमें विमान दुर्घटनाओं के कारण न केवल यात्रियों, बल्कि ज़मीन पर मौजूद निर्दोष लोगों की भी जानें चली गईं। इन्हीं घटनाओं से व्यथित होकर उन्होंने यह प्रण लिया कि तकनीक का प्रयोग केवल मशीनों को स्मार्ट बनाने तक सीमित न होकर मानव जीवन की रक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए भी होना चाहिए।
छात्रा इलमा अहमद ने बताया कि इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जैसे ही कोई विमान असंतुलन की स्थिति में आता है या “क्रैश मोड” में प्रवेश करता है, पायलट के पास एक सहज इमरजेंसी एक्टिवेशन विकल्प होता है। इसे सक्रिय करते ही प्रणाली संभावित दुर्घटना क्षेत्र की पहचान कर लेती है और तत्काल सतर्कता तंत्र को सक्रिय कर देती है, जिससे नीचे मौजूद नागरिक समय रहते चेतावनी प्राप्त कर सकें और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। छात्रा दिशा चौधरी ने जानकारी दी कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में उन्हें चार दिन का समय और लगभग अस्सी हजार रुपये का व्यय हुआ। इस तकनीक को विकसित करने में उन्होंने लॉन्ग रेंज हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो सिग्नल, रडार एंटीना, अलार्म, स्विच, जीपीएस, मोटर, ट्रांसमीटर-रिसीवर आदि आधुनिक यंत्रों और तकनीकों का उपयोग किया है।
संस्थान के निदेशक डॉ. एन. के. सिंह ने इस नवाचार की सराहना करते हुए छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार की तकनीकी खोजें न केवल आईटीएम गीडा की शैक्षणिक गुणवत्ता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करती हैं कि हमारे छात्र नवाचार के माध्यम से समाज की वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संस्थान भविष्य में भी छात्रों को नवाचार के लिए आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन उपलब्ध कराता रहेगा, ताकि वे राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ सकें। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने छात्रों कि इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रसन्नता व्यक्त किया |

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