*बघेला नदी में मछलियों का सामूहिक संहार! जहरीली दवाओं से जीवविविधता पर संकट*

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*बघेला नदी में मछलियों का सामूहिक संहार! जहरीली दवाओं से जीवविविधता पर संकट*
महाराजगंज, परसा मलिक — सदियों से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध बघेला नदी आज एक गहरे संकट से गुजर रही है। कुछ शरारती तत्वों द्वारा नदी में जहरीली दवाएं डालकर मछलियों का अवैध शिकार किया जा रहा है, जिससे न केवल मछलियों की संख्या में भयंकर गिरावट आई है, बल्कि नदी की संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली पर खतरा मंडरा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, लूकठहवा घाट, गंगवलिया घाट और दो मोहनवा घाट पर रात के अंधेरे में ये तस्कर जहरीली रसायन डालते हैं और सुबह मरी हुई मछलियों को उठाकर नजदीकी बाजारों में बेच देते हैं। यह प्रक्रिया न केवल गैरकानूनी है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी विनाशकारी सिद्ध हो रही है।
मछलियों का ‘खान’ अब सुनसान!
बघेला नदी को कभी मांगुर, बरारी, टैग्ना, बुला जैसी मछलियों का ‘खान’ माना जाता था। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि इन मछलियों का लगभग सफाया हो चुका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस नदी में कभी-कभार दिखाई देने वाले मगरमच्छों को भी इन जहरीली दवाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
प्रशासन मौन, तस्कर बेलगाम!
स्थानीय लोगों की बार-बार शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल प्रभाव से इस आपराधिक कृत्य पर रोक लगाए और दोषियों को सख्त सजा दिलवाए।
सवाल उठता है – क्या प्राकृतिक धरोहर बघेला नदी को यूँ ही दम तोड़ते देखते रहेंगे?
अब समय आ गया है कि प्रशासन जागे, पर्यावरण प्रेमी आगे आएं और इस अमूल्य नदी को बचाने की मुहिम छेड़ी जाए। वरना आने वाली पीढ़ियों के लिए यह नदी केवल किताबों में ही बची रह जाएगी।
इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक थाना परसामालिक से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी हमें कोई जानकारी नहीं है अगर कोई शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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