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*महराजगंज और सिद्धार्थनगर भारत-नेपाल के तस्करों ने बांट लिया 68 किलोमीटर की सीमा*

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*महराजगंज और सिद्धार्थनगर भारत-नेपाल के तस्करों ने बांट लिया 68 किलोमीटर की सीमा*

सोनौली-रतन गुप्ता की रिपोर्ट —-

 

 

 

 

महराजगंज और सिद्धार्थनगर देश की सीमा का बंटवारा भले सरकारें करती है। पर, नेपाल-भारत सीमा पर तस्करों ने 68 किलोमीटर की सीमा को चार हिस्सों में बांट दिया है। हर हिस्से में अलग-अलग सामानों की तस्करी की जा रही है। तस्करों के बीच समझौता इतना गहरा है कि कोई भी इसे नहीं तोड़ता है। बढ़नीव अलीगढ़वा सीमा पर नशीले पदार्थ, खुनुवां से बजहा के बीच खाद व खाद्य सामग्री और कपड़े की तस्करी होती है। वहीं, ककरहा सीमा पर नशीले, सोनौली , नौतनवा , ठुठीबारी  पदार्थ के साथ ही सोना व चांदी की तस्करी खुलेआम हो रही है। इसकी पुष्टि सुरक्षा एजेंसियों व पुलिस की कार्रवाई के दौरान भी हुआ।

 

भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी के लिए सीमाक्षेत्र में अलग-अलग स्थान तय है। तय सीमा से ही सामानों की तस्करी की जा सकती है। दूसरे क्षेत्र में गलती से भले ही सामान इस पार से उस पार चला जाए। पर, जानकारी में ऐसा नहीं हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि मादक पदार्थ की तस्करी रुकरुक कर होती है। जबकि सोने और चांदी की तस्करी साइलेंट मुद्रा में होती है। यह रोज पार नहीं होता है। ग्राहक और कैरियर के सेटिंग के बाद निकाली जाती है। इसे बड़ी गाड़ियों से तस्करी की जाती है। ताकि कोई शक न कर सके इसलिए हर बार तस्करी में चेहरा बदला हुआ रहता है। इसलिए सुरक्षा एजेंसियां और सीमावर्ती पुलिस को चकमा देने में सफल हो जाते हैं। लग्जरी गाड़ी होने के कारण चेकिंग पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

 

*बढ़नी सीमा का नशे का कारोबार*——

 

ढेबरुआ थाना क्षेत्र का बढ़नी सीमा मादक पदार्थ की तस्करी के लिए सुगम रास्ता है। दिसंबर माह में ढेबरुआ पुलिस ने स्मैक, गांजा और नशीली गोली के साथ चार लोगों को पकड़ा। इसी प्रकार इटवा पुलिस ने चरस के साथ दो माह के भीतर तीन लोगों को पकड़ा। पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि बढ़नी बार्डर तक नेपाल से लोग लाते हैं। इसके बाद सीमा पार मिलने के बाद वह तय स्थान पर बेचते हैं। एक वर्ष में इसी बार्डर से मदाक पदार्थ की तस्करी के 20 मामले पकड़े जा चुके हैं। इसमें नेपाल शराब भी शामिल है। सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की आंख से बचकर न जाने कितना मात्रा में निकलता होगा इसका पता नहीं है। इसी प्रकार बजहा से अलीगढ़वा बार्डर नेपाल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बजहा से अलीगढ़वा बार्डर पर नेपाल मेें प्रतिबंधित दवाएं बड़ी मात्रा में जाती हैं। साथ ही उधर से चरस और गांजा आता है। नेपाल बार्डर पर नशीली दवाएं कई बार पकड़ी जा चुकी है। ड्रग विभाग के छापे में दुकानों पर प्रतिबंधित दवाएं मिल चुकी हैं।

 

 

*खुनुवां बार्डर पर सामान की तस्करी*

 

खुनुवां सीमा पर खाद्य सामग्री की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। अप्रैल -100 बोरा गेहूँ, 15 बोरी यूरिया, 4 बोरा चावल। मई -रेडीमेड कपड़ा मय मोटरसाइकिल, 135 शीशी नेपाली शराब,1 76500/-भारतीय मुद्रा, 8 बोरी डाई, यूरिया। सितंबर – 6 बोरी यूरिया मय मोटरसाइकिल अक्टूबर – 10 बोरा चीनी, 5 बोरा लाल मरचा, 10 बोरा मटर दाल, 72 रिफाईन तेल, एक बोरी मसूर दाल, 819 नग टाईल्स, लेडीज शूप, शाल, साड़ी, नवंबर – 14 बोरा चावल, 151 बकरा, 6 बोरी यूरिया, 23 बोरी गेहूं बीज। दिसंबर माह, 150000-भारतीय मुद्रा, 822 नग टाईल्स, 50 बोरी प्याज पिकप सहित, 430 नग बकरा, 55 शीशी नेपाली शराब, 9.5 क्विंटल प्याज पिकप सहित, 4 बोरी यूरिया खाद, 6 बोरा चावल दो साईकिल पकड़ा गया। यह महज दो माह के आकड़े हैं। कार्रवाई यहा बयां कर रही है कि यहां बड़े पैमाने पर इन सामानों की तस्करी होती है। यह आकंड़े पकड़े गए आरोपियाें के हैं। इससे कई गुना अधिक सामान सुरक्षा एजेंसियों से बचकर पार कर देते हैं।

*ककरहवा बार्डर सोना चांदी और नशीली दवा की तस्करी*

 

ककरहवा बार्डर से लोग नेपाल के लुंबिनी जिले के भैरहवा और लुंबिनी में लोग इधर से बड़ी संख्या में जाते हैं। भारत में कस्टम और नेपाल में भंसार होने के कारण इस बार्डर पर आवागमन अधिक रहता है। इसलिए इस बार्डर पर सोने चांदी की तस्करी अधिक होती है। बीते वर्ष मार्च माह में लग्जरी गाड़ी से तस्करी के जरिए लाए जा रहे 96 किलो 350 चांदी पकड़ा गया था। जांच में तस्करों के तार नेपाल के भैरहवा और यूपी के आगरा मंडी से जुड़ा होना पाया गया था। इसके अलावा सात अन्य बड़ी कार्रवाई हुई। इसमें प्रति व्यक्ति के पास एक सात किलो चांदी पकड़ी जा चुकी है। इसके साथ ही कई बार बने हुए आभूषण पकड़े जा चुके हैं। ककरहवा से ठोठरी बार्डर तक सोने और चांदी का कारोबार फैला हुआ है। तीन दिन पहले आभूषण कारोबारी से सस्ते सोने के नाम पर लूट का मामला तस्करी से जुड़ा रहा है।

 

 

*एसएसबी कई बार पकड़ चुकी है चांदी*

 

एसएसबी के जवान लगभग हर महीने चांदी के आभूषण की तस्कर पकड़ते हैं। लेकिन 2017 से अब तक सात बड़ी कार्रवाई की है। एक एक मार्च 2017 में ककरहवा बार्डर से चांदी के पुराने आभूषण दो किलो 14 ग्राम। 12 जुलाई 2017 को 2 किलो 32 ग्राम चांदी। 17 फरवरी 2018 में ढ़ेबरुआ क्षेत्र 713 ग्राम चांदी। 6 अक्तूबर 2020 को ककरवा बार्डर से चार किलो चांदी। 29 जुलाई 2021 को ककरहवा बार्डर से 39.955 ग्राम चांदी और आभूषण बरामद हुआ था। 14 सितंबर 2021 को खुनुवां बार्डर से चार किलो 11 ग्राम चांदी का आभूषण एसएसबी की ओर से पकड़ा गया है। बीते वर्ष दो बार में पुलिस की संयुक्त टीम के साथ 10 किलो से अधिक चांदी पकड़ा था। इसके अलावा सभी में कार्रवाई करते हुए कस्टम को सुपुर्द किया गया है।

 

 

*लग्जरी गड़ियों का करते है प्रयोग*

 

तस्करी के कार्य में महंगी और लग्जरी गाड़ी का प्रयोग तस्कर करते हैं। ताकि भंसार कराने के बाद वे आराम से नेपाल में चले जाएं। वहां पर खरीद करते हैं और लेकर चले आते हैं। गाड़ी लग्जरी होने के कारण उन्हें चेकिंग करने से पहरेज किया जाता है। जबकि वह तस्करी में लिप्त रहते हैं।

 

 

*दोनों देश के तस्करों के बीच समझौता*

 

नेपाल की सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बार्डर पर तस्करों को नेटवर्क तगड़ा है। दोनों देश के तस्कर आपस में जुड़े हुए हैं। अब तक इंटरनेट कॉलिंग के जरिए वार्ता करके काम करते हैं। जिसे सर्विलांस के जरिए भी नहीं पकड़ सकते हैं। मादक पदार्थ और सोने चांदी की तस्करी करने वाली तस्कर साइलेंट होते हैं। वह एक बार बड़ी मात्रा में उठाते हैं और कुछ दिन शांत हो जाते हैं। इनका गिरोह लंबा होता है जो एक बार लेकर, उसे कुछ दिन रोक देते हैं। फिर दूसरे आदमी को भेजते हैं। यह इसलिए कि बार-बार सीमा पार करने वाला नजर में आ जाता है। इसके साथ ही यह लोग मार्ग और गाड़ी बदलने के साथ चेहरे बदलते रहते हैं। जबकि खाद सामग्री, कपड़ा, उवर्रक और सब्जी की तस्करी वाले नियमित लगे रहते हैं। कम कमाई होती है, इसलिए हमेशा करते हैं और पकड़े जाते हैं। इसलिए दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसी की नजर इन्हीं पर रहती है।

 

 

सीमावर्ती थानों को अलर्ट किया गया है। नियमित चेकिंग के साथ ही गश्त करते हैं। संदिग्ध दिखने वालों से पूछताछ करने के साथ ही तस्करी करने वालों को पकड़कर कार्रवाई भी कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी सीमावर्ती क्षेत्र ,महराजगंज ,सिद्धार्थनगर ।

 

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