*मैंने बुद्धकालीन कालानमक धान की बालियों की सिधरी बनवाई और उसे फ्रेम करा कर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी को भेंट किया-IPS बृजलाल-सांसद (राज्य सभा)*
 
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*मैंने बुद्धकालीन कालानमक धान की बालियों की सिधरी बनवाई और उसे फ्रेम करा कर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी को भेंट किया-IPS बृजलाल-सांसद (राज्य सभा)*
*महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू से शिष्टाचार भेंट की।उन्हें सिद्धार्थनगर के बुद्धकालीन काला नमक धान की बालियों से बनी कलाकृति भेंट की जो मेरे खेत में उगाई गई थी।*
कालानमक धान सिद्धार्थनगर के” एक ज़िला, एक उत्पाद” में चयनित है। ये धान की बालियाँ वर्ष 2023 में हमारे खेत में पैदा की गई, जिसे मेरे छोटे भाई ने इन्हें गुथकर यह कलाकृति तैयार की। धान के इन गुच्छों को स्थानीय भाषा में “सिधरी” कहा जाता है जिसको परंपरागत रूप से बनाया जाता था, लेकिन अब इसका प्रचलन बहुत कम हो गया है। सिधरी को घरों के बरामदे में लटकाया जाता है। यह एक कलाकृति के साथ ही गौरैया के दानें के रूप में काम आती है।
गौरैया इस पर लटक- लटक कर चावल निकाल कर चुगती है। धान की फसल के समय हमारे दोनों भाई नंदलाल और गोविंदलाल धान की “सिधरी”बना कर हर साल मेरे पास लखनऊ भेजते है। यह मेरे ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाती है। मैं इन्हें अपने बरामदे में लटकाता हूँ जिसे हमारे घर की गौरैया लटक- लटक कर चावल चुगती हैं।
मैंने बुद्धकालीन कालानमक धान की बालियों की सिधरी बनवाई और उसे फ्रेम करा कर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी को भेंट किया।
 
                
            
            
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