*जिला अस्पताल में ब्लड की कालाबाजारी करते मिले स्टाफ नर्स (आउटसोर्स) और वार्ड बाय (आउटसोर्स)*

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मिर्जापुर : 18सितम्बर 24 *जिला अस्पताल में ब्लड की कालाबाजारी करते मिले स्टाफ नर्स (आउटसोर्स) और वार्ड बाय (आउटसोर्स)*
डॉक्टर ए के सिन्हा, मंडलीय जिला चिकित्सालय, मिर्जापुर, के द्धारा बताया गया कि दिनांक 16 सितंबर 2024 को लगभग प्रातः 10:39 बजे इलाहाबाद से एक हाईकोर्ट के एडवोकेट साहेब का फोन मेरे पास आया कि जिला अस्पताल के पुरुष मेडिकल वार्ड में बेड संख्या 23 पर कृष्णा नाम का एक मरीज भर्ती है, जिसे खून चढ़वाने के एवज में एक स्टाफ द्वारा ₹ 6000 लिया गया एवम उसके पश्चात खून चढ़ाया गया। उनके द्वारा बताया गया कि मरीज के माता पिता मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं और उन्होंने यह ₹6000 किसी से उधार लेकर दिए हैं।
यह शिकायत मिलने पर मैंने मरीज के माता-पिता को बुलाया तो उनके द्वारा भी मुझे यही बात बताई गई कि पैसे लेकर मेरे मरीज को खून चढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि यहां के स्टाफ के द्वारा पहले मुझे रुपए 10000 की मांग की गई की जा रही थी , फिर ₹ 6000 पर बात तय हुई ,उसके बाद ₹6000 लेकर खून दिया गया। इनके द्वारा यह भी बताया गया कि कृष्णा को पैखाने के रास्ते से खून आ रहा था जिस कारण 9 सितंबर को अस्पताल में हमने भर्ती कराया।
मेरे यह पूछने पर कि जिस स्टाफ ने आपसे पैसा लिया है क्या आप उसे पहचान सकते हैं तो उन्होंने कहा कि हम उन्हें पहचानते हैं और वह अभी सुबह की ड्यूटी में नहीं हैl
16 सितंबर को ही दोपहर 2:45 पर मैं मैट्रन की सहायिका तथा कुछ महिला पुलिस आरक्षी एवं पुरुष पुरुष आरक्षी को लेकर उक्त मरीज के पास वार्ड में गया तो मरीज की मां ने प्रतिमा स्टाफ नर्स (आउटसोर्स) की ओर इशारा कर एवं उन्हें टच कर बताया कि यही मैडम मुझसे खून के लिए ₹6000 ली है। इनके द्वारा यह भी बताया गया कि एक और स्टाफ फोन पर बात कर कहीं से खून मंगवाने की बात कर रहा था। पूछने पर पता चला कि फोन पर खून मंगवाने वाले का नाम अजय वार्ड बाय (आउटसोर्स) है।
दिनांक 17 सितंबर 2024 को मरीज के माता, पिता एवं भाई ने मुझे बताया कि कल रात 8:00 बजे तक उक्त स्टाफ नर्स मुझे धमकाते रहे और आज सुबह भी धमका रहे हैं कि एक तो मैंने खून दिलवा कर तुम्हारे बेटे की जान बचाई और तुम मेरी शिकायत कर रहे हो । मुझे मेरा दिया हुआ खून लौटाओ तभी मैं तुम्हें ₹6000 लौटाऊंगी । मरीज की मां मुझे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही थी कि मेरा बेटा बहुत डरा हुआ है और अस्पताल में नहीं रहना चाह रहा है, किसी भी तरह आज शाम तक मेरे मरीज को छुट्टी कर दीजिए।
जिस ब्लड ग्रुप का खून मंगाया गया, उस ब्लड ग्रुप का खून उक्त दिवस को हमारे अस्पताल के ब्लड बैंक के स्टॉक में था।
मैंने प्रधानाचार्य महोदय को उक्त घटना की सूचना लिखित रूप में एवम सारे सबूत के साथ उपलब्ध करा दिया है तथा प्रधानाचार्य महोदय से आग्रह किया है कि उक्त प्रकरण को गंभीरता से संज्ञान में लेकर संलिप्त स्टाफों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का कष्ट करें ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृति न हो सके और किसी मरीज के साथ अस्पताल में कोई अन्याय न हो पाए।

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