*महाराजगज़ । करोड़ों खर्च… स्वच्छ पेयजल का सपना धराशायी*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
*महाराजगज़ । करोड़ों खर्च… स्वच्छ पेयजल का सपना धराशायी*
महराजगंज। जिले के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 12 साल पहले 172 गांवों में टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट बनाए गए थे। इस पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च हुए थे। आज उनकी दशा बदहाल है। टैंक से पानी लेना तो दूर यहां कोई जाना भी मुनासिब नहीं समझता है।
जानकारी के अनुसार, मिठौरा ब्लॉक के सिंदुरिया, खजुरिया, लेदवा, बरगदही बंसतनाथ, परसा राजा, हरदी, मुजहना, कुसमरिया, करौता, हर खोड़ा, भागाटार, चौक, मिठौरा, मोरवन, सोहगौरा, जगदौर समेत अन्य गांवों में टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट बने थे। लक्ष्मीपुर, नौतनवा, बृजमनगंज, निचलौल, घुघली, परतावल, पनियरा, धानी समेत अन्य ब्लॉकों के चयनित गांवों में टीटीएसपी (टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट) बनाए गए थे। बनने के कुछ माह बाद से ही यह बदहाल हो गए। जिम्मेदारों ने इसे ठीक कराने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई।
इंसेफेलाइटिस और अन्य जलजनित बीमारियों पर प्रभावी रोकथाम के लिए वर्ष 2012-13 में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए टीटीएसपी (टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट) बनाए गए थे। अधिकांश टीटीएसपी बेहद खराब हालत में हैं। कुछ तो चालू होने से पहले और बाद में बेकार हो गए। लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध नहीं कराया जा सका। जिले के 172 गांवों के लिए यह व्यवस्था बनी थी। इसके तहत स्टैंड पोस्ट बनाए गए थे। प्रत्येक पोस्ट के लिए 2.80 लाख आवंटित हुए। बजट मिलने के बाद साल भर में ही अधिकांश जगह निर्माण भी हो गया। गांव में सार्वजनिक स्थल पर जमीन पर ही एक छोटी टंकी का निर्माण कराया गया जिसमें चार नल (टोंटी) लगाए गए।
पानी भरने के लिए 250 फिट गहरा बोरिंग किया गया और पानी भरने के लिए एक हार्स पॉवर का एक समर सेबुल मोटर लगा। उद्देश्य यह था की गहराई से निकाले गए इस पानी को टंकी में संचित किया जाएगा जिसमें से लोग टोंटी के जरिए अपनी जरूरत के अनुसार बर्तन में भरकर अपने घर ले जाएंगे। हालत यह है कि कहीं बोरिंग खराब है तो कहीं मोटर ही नहीं है। सूत्रों की माने तो कई जगह जैसे-तैसे काम कराने के बाद निर्माण पूर्ण बता दिया गया।
लेदवा गांव में बने टैंक को देखकर कोई वहां जाना नहीं चाहता है। टैंक के आसपास गंदगी का अंबार है। टोटी कहीं दिखती ही नहीं है। यही हाल सिंदुरिया में टैंक का है। यहां तो किसी को पता नहीं था की टैंक बना है। गांव के नरेश कहते हैं कि अगर टंकी ठीक रहती है तो कोई भी यहां से शुद्ध जल प्राप्त कर लेता। जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण यह व्यवस्था धराशायी हो चुकी है।
संवादाता दिवाकर पांडे की रिपोर्ट।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
