*ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार को लगता है – सारा भ्रष्टाचार केवल ग्राम पंचायत में ही होता है- क्या भ्रष्टाचार का जड़ केवल प्रधान ही है*

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*ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार को लगता है – सारा भ्रष्टाचार केवल ग्राम पंचायत में ही होता है- क्या भ्रष्टाचार का जड़ केवल प्रधान ही है*
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार को लगता है – सारा भ्रष्टाचार केवल ग्राम पंचायत में ही होता है। इसे पूरी तरह पारदर्शी बनाने की कोशिश की जा रही है। जबकि मुझे लगता है हर वो कार्य प्रधान करता जो कोई अन्य प्रतिनिधि नहीं करता।
1ग्राम पंचायत में किसी का देहांत हो गया प्रधान को ढूँढो
2किसी की तबियत ख़राब हो गई, प्रधान को ढूँढो
3कोई दुर्घटना हो गई , प्रधान को ढूँढो
4कोई छोटा – मोटा विवाद हो गया , प्रधान को ढूँढो
5राशन संबंधित समस्या , प्रधान को ढूँढो
6किसी के इलाज के लिए पैसे नहीं है , प्रधान को ढूँढो
7किसी को नेवता में जाना है पैसे नहीं हैं , प्रधान को ढूँढो
8किसी की लड़की की शादी है पैसे कम पड़ रहे हैं , प्रधान को ढूँढो
9गाँव में पुलिस आई है , प्रधान को ढूँढो
10थाने पर चंदा की ज़रूरत है , प्रधान को ढूँढो
11चुनाव में चुनाव कराने आये कर्मचारियों की व्यवस्था करानी है , प्रधान को ढूँढो
12 पेड़ लगाने हैं , प्रधान को ढूँढो
13 किसी ने अपने माता पिता को घर से निकाल दिया है , प्रधान को ढूँढो
14किसी ने बीवी को को मार पिट दिया है , प्रधान को ढूँढो
इत्यादि बहुत सी समस्याओं को लेकर एक प्रधान चलता है लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ उसको सहयोग केवल अपने परिवार नुमा ब्लॉक से ही मिलता है।
और फिर प्रधान हमेशा सबको गुनहगार लगता है।
इसके ठीक उलट अगर कोई ग्राम विकास संबंधित कार्य होते समय विवाद उत्पन्न होता है तो सीधा प्रधान ज़िम्मेदार होता है और उसके विरुद्ध क़ानून सहयोग करने के बजाय मुक़दमा तक दर्ज कर देता और प्रधान उसको वर्षों तक झेलने पर मजबूर हो जाता है। जबकि ऐसा अन्य दूसरे जन प्रतिनिधियों पर लागू नहीं होता है। क्या आप में से किसी ने सुना होगा कि विधायक , सांसद या ज़िला पंचायत , ब्लॉक प्रमुख या एमएलसी के ऊपर इस तरह की कोई कार्यवाही हुई है,या नहीं।
नोट- ये सरकार ग्राम प्रधानों के बजट को बिगाड़ रही, गौशाला के निर्माण एवं पशुओं के लिए भूसा दान हेतु धनराशि ब्लॉक के ग्राम पंचायतों से दबाव देकर वसूला जाता है।
ग्राम पंचायत सहायकों के सरकार ने भर्ती की है लेकिन तनख़्वाह ग्राम पंचायत से जा रही है। शौचालयों पर सफ़ाईकर्मी की नियुक्ति की गई लेकिन तनख़्वाह ग्राम पंचायत से जा रहा है। ग्राम प्रधानों का मानदेय भी ग्राम पंचायत से जा रहा है। आख़िर इससे ग्राम पंचायतों का बजट बिगड़ेगा या नहीं।
दिनेश मिश्रा की कलम से- कमेंट करके जरूर बताने की कृपा करें।

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