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*गोरखपुर: सौतेली साजिश ने छीनी लक्ष्मण पाठक की जिंदगी, मासूम बेटी ने दी मुखाग्नि, कांप उठी इन्सानियत!*

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*गोरखपुर: सौतेली साजिश ने छीनी लक्ष्मण पाठक की जिंदगी, मासूम बेटी ने दी मुखाग्नि, कांप उठी इन्सानियत!*

 

गोरखपुर के खजनी कस्बे में बुधवार को हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को झकझोर कर रख दिया। लक्ष्मण पाठक नामक एक आम इंसान की संदिग्ध मौत ने न सिर्फ उसके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे इलाके में सन्नाटे के साथ-साथ सवालों का तूफान खड़ा कर दिया। क्या यह महज आत्महत्या थी, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है।लक्ष्मण पाठक, जो अपने पिता बिंध्याचल पाठक के बेटे थे, अपनी पत्नी प्रियंका और दो मासूम बेटियों के साथ सीमित साधनों में जीवन बिता रहे थे। लेकिन सौतेली मां के खनयन्त्र से अचल सम्पत्ति से बेदखल साजिश का शिकार हुआ , सौतेली माँ के प्रताड़ना और पारिवारिक कलह ने उनकी जिंदगी को इस कदर जकड़ लिया कि वह अंदर ही अंदर टूटते चले गए। गाँव वालों का मानना है कि सौतेली मां की साजिश और लगातार तनाव ने लक्ष्मण को या तो खुद अपनी जान लेने को मजबूर किया, या फिर उनकी मौत को किसी सुनियोजित चाल का हिस्सा बना दिया।लेकिन इस त्रासदी का सबसे मार्मिक पहलू तब सामने आया, जब लक्ष्मण के अंतिम संस्कार का समय आया।

घर में कोई पुरुष सदस्य मौजूद न होने के कारण उनकी किशोरी बेटी मातंगी पाठक ने आगे बढ़कर अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य इतना हृदयविदारक था कि वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं। समाज की पुरानी परंपराओं को चुनौती देते हुए इस नन्हीं बेटी ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी, और इंसानियत को एक नया सबक सिखा गई।

लक्ष्मण की पत्नी प्रियंका, जो उनके साथ हर मुश्किल में खड़ी रही, और उनकी दो बेटियाँ, जो दादी की प्रताड़ना से बचने के लिए ननिहाल में पढ़ाई कर रही थीं, अब उस दर्द से जूझ रही हैं जिसकी कोई सांत्वना नहीं। यह कहानी केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक सवाल है—क्या सौतेले रिश्तों का जहर आज भी किसी की जिंदगी छीन सकता है?

यह घटना व्यवस्था से भी सवाल पूछती है। क्या लक्ष्मण की मौत की सच्चाई कभी सामने आएगी? क्या यह मूक चीख कभी जांच की दहलीज तक पहुंच पाएगी? यह दर्द, यह आंसू, और यह अनसुनी पुकार अब समाज और प्रशासन के सामने एक चुनौती बनकर खड़ी है।

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