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*वन माफियाओं का गढ़ बना सदर एवं टेढ़ीघाट बीट*

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*वन माफियाओं का गढ़ बना सदर एवं टेढ़ीघाट बीट*

 

सतीश त्रिपाठी।

 

नौतनवां। महराजगंज।सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के जंगलों में धड़ल्ले से अवैध कटान जारी है। कीमती साखूऔर सागौन के सबसे बुरी स्थिति है । लक्ष्मीपुर रेंज का सदर बीट एवं टेढ़ीघाट बीट वन माफियाओं का अड्डा बन चुका हैI संबंधित बनकर्मियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से रातों-रात कटान की जा रही है । तथा उच्चाधिकारियों का लोकेशन देखकर समय-कुसमय उस कीमती लकड़ियों को विभिन्न नगरों एवं महानगरों तक पहुंचा दिया जा रहा है । तो यहां तक जाता है कि कुछ संबंधित कर्मचारियों का वन माफियाओं से मधुर संबंध भी हैI यही वजह है कि कटान पर रोक नहीं लग पा रही है। इसके बाद भी विभाग के जिम्मेदार अंजान बने हैं। सख्त कार्रवाई न होने के कारण लकड़ी माफिया के हौसले बुलंद हैं। और वह वन विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिली भगत से पेड़ काटकर मालामाल हो रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, महराजगंज जिले में लगभग 342 वर्ग किमी क्षेत्र वन से घिरा हुआ है। जंगलों में लकड़ी माफियाओं की ओर से जलौनी के नाम पर पेड़ों को काटकर पहले ठूठ बनाया जाता है। फिर उन्हें जड़ से काट कर आसानी से ठिकाने लगा दिया जाता है। इसका नजारा लक्ष्मीपुर वन रेंज क्षेत्र के सदर एवं टेढ़ीघाट बीट में सर्वाधिक देखा जा सकता है। इसके अलावा अचलगढ़, जंगल गुलहरिया, महेशपुर महेदिया, तिनकोनिया, दशरथपुर सहित अन्य जगहों पर देखा जा सकता है। यह गांव जंगलों से सटा है। यहां अवैध कटान बे-रोकटोक चल रहा है। कुछ लोगों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि लकड़ी माफिया पहले पेड़ों की डाल व ऊपर के हिस्से को कुल्हाड़ी से काट देते हैं। इसके बाद पेड़ काट देते है । बताया जाता है कि मुखबिर सूचनाओं के आधार पर विभाग के जिम्मेदार अवैध लकड़ी तो बरामद कर लेते हैं, लेकिन आरोपियों को पकड़ने में असफल रहते हैं। यह असफलता वन माफियाओं और वन कर्मियों के मधुर संबंधों को उजागर करता है।यही कारण है कि फरार आरोपी वनकर्मियों के रहमोकरम पर पुनः जंगलों से अवैध लकड़ी की कटान करते रहते हैं।
सूत्रों की माने तो लकड़ी माफिया रात में कटान करते हैं। इसके बाद आसानी से आरा मशीन तक लकड़ी पहुंचा देते हैं। यहां लकड़ियों को नंबर एक बनाने के लिए पहले से बने परमिट के नाम पर दिखा दिया जाता है। ज्यादा गहराई से जांच-पड़ताल होने के बाद अगर मामला पकड़ में भी आ जाता है तो रुपये देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

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