*युवती के मौत के बाद मंगेतर ने रचाई शादी*

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*युवती के मौत के बाद मंगेतर ने रचाई शादी*
(प्रदेश प्रभारी राकेश त्रिपाठी)
उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के निचलौल कस्बे में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। कृष्णा नगर मोहल्ले की रहने वाली 24 वर्षीय युवती प्रियंका मद्धेशिया ने शनिवार रात को अपने घर की दूसरी मंजिल पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद जहां परिवार में कोहराम मचा, वहीं आज मृतका के परिजनों द्वारा उठाए गए एक असामान्य कदम ने सभी को चौंका दिया।परिजनों के अनुसार, प्रियंका की शादी तय हो चुकी थी और उसका मंगेतर उसी के घर में ही किराए पर रहता था। शनिवार की रात करीब 10 बजे प्रियंका ने दुपट्टे से फंदा बनाकर छत की कुंडी से झूल गई। परिजनों ने जब दरवाजा खटखटाया और कोई जवाब नहीं मिला तो दरवाजा तोड़कर देखा। उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निचलौल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।पुलिस को सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष अखिलेश वर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और घटनास्थल की जांच की। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। थानाध्यक्ष ने बताया कि आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।हालांकि आज इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया जब परिजनों ने मृतका के मंगेतर से ही उसके शव का ‘सिंदूरदान’ कराया। यह घटना आज दिनांक 15 जून 2025 को दोपहर पोस्टमॉर्टम के बाद हुई। जब लड़की का शव मृतिका के घर पहुंचा तो मौके पर ब्राह्मण ने धार्मिक विधि-विधान से सिन्दूर दान की रस्म संपन्न कराई और लड़के के हाथों प्रियंका के मांग में सिंदूर भरवाया गया। इस ‘मरणोपरांत विवाह’ को देखकर वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह कदम परिजनों ने शायद समाज की मानसिकता, और प्रियंका की अधूरी इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से उठाया। लेकिन इस कदम को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कुछ इसे मृतका की आत्मा की शांति का प्रयास मान रहे हैं तो कुछ इसे अंधविश्वास और समाजिक दबाव की पराकाष्ठा बता रहे हैं।यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो, लेकिन निचलौल जैसे छोटे कस्बे में इस प्रकार की घटना ने सामाजिक, धार्मिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। आत्महत्या के पीछे के कारणों का अब तक कोई ठोस संकेत नहीं मिला है। परिजनों या मंगेतर द्वारा कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है
इस घटना ने एक बार फिर समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सिर्फ विवाह तय हो जाने से रिश्तों में इतनी भावनात्मक गहराई आ जाती है कि मौत के बाद भी विवाह संस्कार को पूरा करने की जरूरत महसूस होती है? और क्या यह कदम मृतका की आत्मा की शांति के लिए उठाया गया, या फिर समाज की प्रतिक्रिया से बचने का एक प्रयास?

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