*ढैंचा से खतरनाक रसायन मुक्त अच्छी फसल व स्वास्थ्यवर्धक मिलता है अन्न*

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*ढैंचा से खतरनाक रसायन मुक्त अच्छी फसल व स्वास्थ्यवर्धक मिलता है अन्न*
आजकल धान की रोपाई चल रही है। खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए तमाम रसायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाएं डालकर फिर धान रोपा जाता है और जब तक धान की फसल तैयार नहीं हो जाती है तब तक अनगिनत बार रासायनिक खाद डाले जाते हैं ताकि अच्छी उपज हो सके।
रासायनिक खाद डालने से खेत की उर्वरा शक्ति तो बढ़ जाती है और धान की अच्छी उपज भी हो जाती है लेकिन ये खादे हमारे अन्न में अपना जहर घोल जाती हैं।
जीवित रहने के लिए भोजन करना जरूरी होता है परन्तु इस अन्न से बने भोजन को करने से हमारे शरीर को पोषण कम और बीमारी ज्यादा मिलती है।
पहले के समय में रासायनिक खाद का प्रयोग नही होता था इससे अन्न की पैदावार कम होती थी परन्तु वो अन्न अमृत तुल्य होते थे। उन्हे खाने वाले हमारे पुरखे हष्ट पुष्ट, रोगमुक्त और शतायु वाले होते थे।
आज भी गांव में जिनकी आयु अधिक है वो उसी समय के लोग हैं और आजकल की बीच की पीढ़ी बुजुर्ग होने ही नहीं पाती है। चालीस पार होते ही तमाम बीमारी से ग्रस्त होकर या तो बीमारों की तरह दवा खाकर जीवित रहते हैं या फिर जानलेवा बीमारी का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
अब जब सबके चिकित्सालयों के चक्कर बढ़ने लगे तब सब लोग जैविक खेती, आयुर्वेदिक उपचार, योग, ध्यान की तरफ वापस लौटने लगे।
हमारी तरफ अब गांव में बहुत से लोगों ने जैविक खेती को अपना लिया है इसलिए धान की फसल लगाने से पहले धान के खेत में सनई, ढैंचा जैसी चीजें बो दी जाती हैं और फिर उनको उचित समय पर जुताई करके पलटवा कर खेत में पानी भर दिया जाता है जिससे ये पौधे गलकर खेत के लिए हरी खाद बन कर खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ा देते हैं इससे खेतों में रासायनिक खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ती है और खतरनाक रसायन मुक्त अच्छी फसल व स्वास्थ्य वर्धक अन्न मिलता है।
न्यूज़ एंटीकरप्शन भारत दिनेश मिश्र————

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